संघर्ष : Hindi poetry
" संघर्ष "
जीत एक संगीत है
तो हार में भी गीत है ,
राह के ये दो किनारे
मन तू क्यों भयभीत है।
मार्ग होंगे ये कठिन
रेत से, पानी के बिन
पटखनी भी भाग्य देगी
और भयंकर दिन-ब -दिन,
तुम से पीछे थे चले जो
जब वो आगे जाएंगे
आँख में आँसू भरे तब
पाँव ना चल पाएंगे।
शून्यता जब मन को घेरे
तुमको ये समझाएगी
की छोड़ दे ये राह तेरे
बस की ना हो पाएगी ,
तब ये कहना शुन्य से तुम
मैं अभी हूँ रण में जीवित
समर मेरी मीत है
सुबह वो आएगी एक दिन
रात थोड़ी ढीठ है।
जीत एक संगीत है
तो हार में भी गीत है।
.....सुमित झा.....
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